ये टैक्स... संविधान का नहीं... अंग्रेजों का बनाया षड्यंत्र है!
आपके बच्चे भी देते हैं टैक्स जो किसी नौकरी में पहुंचे तक भी नहीं! जी हां

आपके बच्चे भी देते हैं टैक्स जो किसी नौकरी में पहुंचे तक भी नहीं!
जी हां
टैक्स कई प्रकार के होते हैं जैसे स्टेट टैक्स (राज्य कर), सेण्टर गवर्नमेंट टैक्स (केंद्र सरकार कर), डायरेक्ट टैक्स (प्रत्यक्ष कर), इन-डायरेक्ट टैक्स (अप्रत्यक्ष कर) इत्यादि।
मुख्यता भारत में टैक्स को दो श्रेणियों में विभाजित किया गया हैं – डायरेक्ट टैक्स और इन-डायरेक्ट टैक्स।
डायरेक्ट टैक्स
जैसा किनाम से ही पता चलता है ये टैक्स करदाता (टैक्स देने वाला) द्वारा सीधे सरकार को दिया जाता है।
भारत में इस प्रकार के टैक्स के सबसे अच्छे उदाहरण इनकम टैक्स और वैल्थ टैक्स हैं।
सरकार की नज़र में, डायरेक्ट टैक्ससे कुल टैक्स इनकम का अनुमान लगाना आसान होता है क्योंकि यह करदाताओं की इनकम से सीधा संबंध रखता है।
इन-डायरेक्ट टैक्स
इन-डायरेक्टटैक्स को अलग तरीके से जमा किया जाता है और ये टैक्स सामान और सेवाओं के उपयोगपर आधारित होते हैं।
जैसा कि नाम से ही स्पष्ट है कि इन-डायरेक्टटैक्स का भुगतान सामान/ सेवाओं के उपभोक्ता सीधे सरकार को नहीं करते हैं।
सरकार सामान/ सेवा के विक्रेता(बेचने वाला) से इन-डायरेक्टटैक्स प्राप्त करती है।
विक्रेता, बदले में, सामान/ सेवा के खरीदार से टैक्स लेता है।
इन-डायरेक्टटैक्स के सामान्य उदाहरणों में सेल्स टैक्स, GST, VAT, आदि शामिल हैं।
टैक्स शब्द लैटिन शब्द “टैक्सो” से आया है। एक टैक्स एक अनिवार्य शुल्क या वित्तीय शुल्क है जो सरकार द्वारा किसी व्यक्ति या संस्था पर राजस्व जुटाने के लिए लगाया जाता है। जमा हुए टैक्स की कुल राशि को विभिन्न सार्वजनिक कार्यक्रमों के लिए उपयोग किया जाता है। कानून के मुताबिक, खुद से या गलती से टैक्स भुगतान ना करने पर जुर्माना या सज़ा मिलने सकती है।
मूलत: टैक्स वह राशि है जिस पर सरकार चलती है और अपने नागरिक को सार्वजनिक सेवाएं प्रदान करती है। टैक्स का भुगतान करने के लाभ निम्नलिखित हैं।
आपका टैक्स भुगतान सुनिश्चित करता है कि सभी नागरिकों के लिए सरकार द्वारा प्रदान की जाने वाली सेवाएं बिना किसी बाधा के चलती रहेंगी।
आप लोन या क्रेडिट कार्ड के लिए आवेदन करने के लिए अपने इनकम टैक्स रिटर्न दस्तावेजों का उपयोग कर सकते हैं।
इस टैक्स की राशि से सरकार अपने नागरिक के लिए बेहतर सुविधाओं और उपयोगिताओं को निधि दे सकती है जो बदले में लोगों के जीवन स्तर में सुधार करने में मदद करती है।
सरकार को बहुत सारे कार्य करने होते हैं और जिसके लिए धन की आवश्यकता होती है। आपके धन का उपयोग सेनाओं, बुनियादी ढांचे के विकास, नागरिकों की सुरक्षा, प्रशासनिक सेवाओं आदि के लिए भी किया जाता है।
टैक्स चोरी कानून व जुर्माना
भारत सरकार ने टैक्स से संबंधित विभिन्न अधिनियम बनाए हैं और प्रत्येक नागरिक उन नियमों का पालन करने के लिए बाध्य है। टैक्स संबंधित विभिन्न अधिनियम का पालन ना करने पर लगाए गए कुछ दंड निम्नलिखित हैं:
धारा 140A (1) के अनुसार, यदि एक असेसी (टैक्स देने वाले) आंशिक रूप से या पूर्ण रूप से मूल राशि या ब्याज पर टैक्स का भुगतान करने में विफल रहता है, तो उसे डिफॉल्टर माना जाएगा।
धारा 221 (1) के अनुसार,टैक्स अधिकारी बकाया राशि के बराबर जुर्माना लगा सकता है।
धारा 271 (C) के तहत,यदि कोई असेसी इनकम को छुपाता है तो उसपर 100% से 300% का जुर्माना लगाया जा सकता है।
यदि कोई डिफॉल्टर धारा 142 (1) या 143 (2) के तहत,नोटिस का जवाब नहीं देता है, तो टैक्स अधिकारी उसेको रिटर्न दाखिल करने या लिखित रूप में संपत्ति और लाइबिलिटी के सभी विवरण प्रस्तुत करने के लिए कह सकता है।
एक जुलाई ,साल 2017 में जीएसटी बिल लागू किया गया।
जीएसटी का Full Form होता है- Goods And Services Tax ।
हिन्दी में समझे- माल एवं सेवा कर।
इसे, वस्तुओं की खरीदारी करने पर या सेवाओं का इस्तेमाल करने पर चुकाना पड़ता है।
पहले मौजूद कई तरह के टैक्सों (Excise Duty, VAT, Entry Tax, Service Tax वगैरह ) को हटाकर, उनकी जगह पर एक टैक्स GST लाया गया है।
मतलब अब से 5%, 12%, 18% और 28% के तहत वस्तुओं और सेवाओं के लिए GST दर संरचना तैयार की गई।
एक फोटो कॉपी का आगे पीछे के एक पन्ने का 6 रुपया व्यक्ति को देना होगा।
मतलब सोचिए आपकी कमर तोड़ी गई हैं या नहीं ???
गरीब के बच्चे सरकारी संस्थान में भी नहीं पढ़ सकते!
सोचिए जरा जिन्हें यह सभी टैक्स भरना अति प्रिय है उन्हे इस काले कानून के मायने नहीं पता।
यह अंग्रेजो द्वारा बनाया हुआ षड्यंत्र है जिसकी पूर्ण जानकारी , दस्तावेजों सहित निहित हैं।
इसके साक्ष्य आज भी लंदन की संसद में उपलब्ध हैं।
किंतु भारत में अंग्रेज़ चले जाने के बाद भी अम्बेडकर के नाम पर यह सारे नियम थोप दिए जाते हैं कि उनकी देन हैं।
जबकि यह कर का इतिहास बहुत पुराना हैं, जब भारत में मुगलों एवं गोरों के आगमन से पूर्व शासकों द्वारा भारत की आंतरिक आर्थिक स्थिति को मजबूत रखने के लिए प्रजा से कर लिया जाता था वह परंपरा आंतरिक आर्थिक परिस्थिति को एवं एक दूसरे को जोड़कर रखने में कामयाब रहती थी।
ऐसे में ईस्ट इंडिया कंपनी के आगमन के समय अनेक प्रकार के अत्याचार भारत की जनता ने सही लगातार अंग्रेजों द्वारा भारत की भोली-भाली जनता को नील की खेती जैसे तमाम कर बड़ी प्रताड़ना के साथ चुकाने होते थे फिर भी भारत की जनता हार नहीं मानती थी ऐसे में ईस्ट इंडिया कंपनी के षड्यंत्रकारी शासकों ने लंदन की संसद में यह साक्ष्य दिए हैं कि भारत की जनता कितनी ही मार सहेगी लेकिन वह कर देने में कभी भी पीछे नहीं हटेगी।
इसी प्रकार ईस्ट इंडिया कंपनी ने षड्यंत्र रचाया और भारत के विभिन्न व्यापारियों उच्च कोटि के धनी लोगों सहित ग्रामीण जनता पर विभिन्न प्रकार के व्यापार संबंधों में अलग-अलग कर लगाना प्रारंभ किए जिससे भारत की जनता को क्षमता से अधिक हानी के साथ साथ कर भी देना होता था और इस प्रकार अंग्रेजों को अधिक बल प्राप्त होने लगा।
इसी तरह भारत की जनता लगातार बिछड़ते गई और उनकी एकता अखंडता बिखरती गई इसी प्रकार भारत की जनता तीन वर्गों में बैठ गई उच्च कोटि मध्यम वर्ग एवं निम्न वर्ग।
यह अमीरी गरीबी का दौर कब से शुरू हुआ जो आज तक अंग्रेजों द्वारा बनाए गए उस काले कानून के तहत आयकर के रूप में विभिन्न बिंदुओं के साथ मौजूद है।
आजादी से अब तक एक अहम जानकारियां दी है जो भारत के नागरिकों को नहीं मालूम कि अंग्रेज तो चले गए मगर यह षड्यंत्र कारी कानून लगातार अपनी जड़े पसारने में लगा हुआ है आज भी जितनी क्षमता से आप पैसा कमाते हैं उसका चौथाई भाग भी आपको पूर्ण रूप से नहीं मिल पाता बाकी तमाम तरह के कर दे देकर आपके जीवन भर की पूंजी इस राज्य कोष के नाम पर बटोरी जा रही है।
सरकारी खजाने के रूप में आपका पैसा ऊपर तक पहुंचता है लेकिन ऊपरी पैसा पिछले रास्ते से कहां चला जाता है इसकी जानकारी आज तक भारत के नागरिकों को नहीं है और भारत की जनता आज भी इन विभिन्न करो को देने में यह महसूस करती है कि वह भारत की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने में अपना योगदान दे रही है।
ऐसे कई महत्वपूर्ण तथ्य हैं जो विभिन्न राजनेताओं ने अपनी स्वार्थ लिप्सा के चलते जनता से आज तक साझा नहीं किए हैं।
यह दुर्भाग्य है हमारा कि जब एक कागज की कीमत ₹6 होगी तो एक पुस्तक की कीमत क्या होगी???
माना कि हर व्यक्ति पढ़ाई करने में सक्षम नहीं है लेकिन जो बच्चे सरकारी स्कूलों में भी अध्ययन के लिए पहुंचते हैं उन 100 में से किसी एक बच्चे के आगे बढ़ने पर भी भारत का गौरव आगे बढ़ता है।
ऐसे कर मुक्त भारत की शपथ लीजिए।
जिस कर को आप दे रहे हैं वह आपकी कमर ना तोड़े एवं हर परिस्थिति में आपका संभल बनाए रखें।
जय श्री कृष्णा
जय हिन्द
पूजा बाथरा
मोटिवेश्नल लेखिका राष्ट्रीय पत्रकार नई दिल्ली
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