सुविचार

मेरी कलम से.......
हमारी कहानी विधाता के हाथ हैं
मगर
लाभ हानी अपने ही हाथ हैं।
जब आप हर कार्य में लाभ पहले तय करते हैं
तो कर्मों की पूंजी में हानी क्यों ले रहे हैं ????
यह भी समझ का फेर हैं
यह भी खुद को जीवित रखने का सवाल हैं
शरीर नहीं आत्मा का सफ़र लाभ हानी में चलता हैं
इस जन्म का लाभ कल चुकाना हैं
ओर हानी को स्वीकारना हैं
उसी प्रकार आज की हानी की भरपाई कल भी होगी
कल फिर कोई लाभ लेना हैं
यहीं जीवन की यात्रा हैं
जय श्री कृष्णा
जय हिंद
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