राजीव गांधी तब से अब तक !

जीरों से शुरू हुए आज़ाद भारत के संघर्ष में कांग्रेस दल सहित वरिष्ठ कांग्रेसी नेताओं को अनदेखा नहीं किया जा सकता।
क्योंकि आज आप भी ग्राउंड जीरो से कोई भी कार्य शुरू करेंगे या करते हैं तो कई विभिन्न संकटों का सामना आपको करना ही है।
कांग्रेस दल को मजबूत करने में आपके हमारे,हम सब के पुरखों का योगदान रहा हैं।
यह अकेले किसी भी कांग्रेसी चेहरे की देन नहीं की देश आज़ाद हुआ।
देश प्रेम की निष्ठा, कर्तव्य परायण ता में भी कांग्रेस अहम भूमिका निभाने में आगे रही है,इसी कारण यह अद्वितिय दल बनकर जन जन का मसीहा बना।
विरोधाभास का जन्म भारत विभाजन से शुरू हुआ।
ओर दो विचार धाराओं ने देश के भाग तो किए मगर उद्देश्य सभी का एक ही रहा है।
आज आपको हम सभी को इतिहास ओर वर्तमान दोनों से सीख लेनी चाहिए।
यहीं वर्तमान की मांग हैं।
इसलिए कुछ महत्वपूर्ण जानकारी जो आप सभी को समझनी होगी।
खास तौर पर कांग्रेस प्रमुख को।
क्या आप जानते हैं पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी के विचार ?
यदि किसान कमजोर हो जाते हैं तो देश आत्मनिर्भरता खो देता है, लेकिन अगर वे मजबूत हैं तो देश की स्वतंत्रता भी मजबूत हो जाती है।
अगर हम कृषि की प्रगति को बरकरार नहीं रख पाए तो देश से हम गरीबी नहीं मिटा पाएंगे।
लेकिन हमारा सबसे बड़ा कार्यक्रम गरीबी उन्मूलन हमारे किसानों के जीवन स्तर में सुधार लायेगा।
गरीबी उन्मूलन कार्यक्रम का मकसद किसानों का उत्थान करना है।
हमारा आज का काम भारत को इक्कीसवीं सदी में गरीबी के बोझ से मुक्ति, हमारे औपनिवेशिक अतीत की विरासत और हमारे लोगों की बढ़ती आकांक्षाओं को पूरा करने में सक्षम होगा।
एक देश की ताकत अंततः इस बात में निहित है कि वो खुद क्या कर सकता है , इसमें नहीं कि वो औरों से क्या उधार ले सकता है ।
कारखानों, बांधों और सड़कों को विकास नहीं कहते. विकास तो लोगों के बारे में है।
इसका लक्ष्य लोगों के लिए सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पूर्ति करना है।
विकास में मानवीय मूल्यों को प्रथम वरीयता दी जाती है।
शिक्षा को हमारे समाज में बराबरी का स्थान दिया जाता है।
यह एक ऐसा उपकरण है जो हमारे पिछले हजारो वर्षो के सामाजिक व्यवस्था को एक बराबर के स्तर पर ला सकता है।
हर व्यक्ति को इतिहास से सबक लेना चाहिए. हमें यह समझना चाहिए कि जहाँ कहीं भी आंतरिक झगड़े और देश में आपसी संघर्ष हुआ है, वह देश कमजोर हो गया है।
इस कारण, बाहर से खतरा बढ़ता है. देश को ऐसी कमजोरी के कारण देश बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है।
महिलायें एक देश की सामाजिक चेतना होती हैं।
वे हमारे समाज को एक साथ जोड़ कर रखती है।
पूजा बाथरा
मोटिवेश्नल लेखिका राष्ट्रीय पत्रकार नई दिल्ली
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