मानसिक उपज से व्यक्ति अपने जीवन की सारी पूंजी गवा देता हैं।

मानसिक उपज से व्यक्ति अपने जीवन की सारी पूंजी गवा देता हैं।

मानसिक उपज से व्यक्ति अपने जीवन की सारी पूंजी गवा देता हैं।
जब तक आप मानसिक चीजों पर नियंत्रण नहीं रखेंगे,तब तक चारों तरफ उन्माद दिखेगा।
और आप भी उन्माद का शिकार बनते जाएंगे।

स्वर्ग नरक अन्यत्र कहीं नहीं
बल्कि
हमारे मानसिक विचारों में हैं
मन चंगा तो
कसौटी में गंगा
उसी प्रकार
मन में काशी
वाणी में मथुरा
तन में हो बद्रीनाथ
चारों धाम प्राणी बीच बसें
करों सत्कर्म,लो हरी का नाम

जय श्री कृष्णा
जय हिंद

पूजा बाथरा
मोटिवेश्नल लेखिका राष्ट्रीय पत्रकार नई दिल्ली

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