खुद को जांचे.... संकल्प लें... अब तक क्या बन पाए ??

लोग दिनभर ब्राह्मण को भिक्षुक समझ कर कोसते हैं- वे जनहित में अनेक धर्म भी करते हैं,ये न भूले?
क्षत्रिय के प्रति जो भुजबल बाहुबल से कुंठित है _ तो आप कौन हैं, जो अपने ही रिश्तेदार परिवार को रोजाना तन मन धन से प्रताड़ित करते हैं?
आप भी रोजाना निर्बल पर अत्याचार करते हैं, युद्ध भूमि में शौर्य का परिचय मिलता हैं,मगर यहां एक दूसरे को नीचा दिखाने वाले पशु पूर्वक व्यवहार कर अपना परिचय देते हैं।
केवल वैश्य को बिकाऊ समझने वाले - आप भी दिनभर अपनी आत्मा ओर ज़मीर बेचकर अपने शौक पूरे कर रहे हैं यह खुद में तलाशने की जरूरत है?
शूद्र साफ सफाई स्वच्छता में लगे रहते हैं , रोजाना शूद्र जाति से होने पर प्रताड़ित होते हैं_ मगर यह सारी गंदगी लोगों के मन मस्तिष्क में भरी पड़ी हैं यह कुंठा खुद से कब मिटाएंगे कि शूद्र कोई जाति ही है,आपका विचार, आचरण भी शूद्र हो सकता हैं,यह क्यों नहीं सोचते?
ये चारों वर्णों को जाति में बाटने वाले अंग्रेज़ हैं, अंग्रेज़ चले गए मगर फूट की नीति आज तक जारी है।
इस गंदगी से बाहर निकलिए।
मेरी कलम सामाजिक सुधार , समरसता की परिचायक हैं।
कितने साथ आयेंगे कितने विरोधी होंगे।
यह तय करना हमारा कार्य नहीं।
हमें युद्ध भूमि में पहुंचकर निरन्तर धर्म के मार्ग पर बढ़ते रहना चाहिए।
न कि
पीछे मुड़कर देखना चाहिए।
सत्य असत्य,विजय , पराजय के भय से जो विचलित न हो पाते हैं।
युद्ध भूमि में इतिहास वहीं बनाते हैं ,जो आगे बढ़ते जाते हैं।
सर धड़ से अलग हो जाए मगर अंतिम सांस तक लड़ते जाते हैं।
वह योद्धा किसी जाति में नहीं, हर घर में जन्में जाते हैं।
ये बुराई एक युद्ध भूमि है,जो मनुष्य को उसकी अच्छाई से भटकाती है।
जब तक आप इस पर नियंत्रण नहीं करेंगे, इसमें लाखों बेकसूर मृत्यु शय्या पर दिखेंगे।
यह पोस्ट किसी भी तरह से केवल क्षत्रिय समाज के लिए नहीं है।
परम क्षत्रिय वह है जो अधर्म का विरोध करता रहें।
जैसे कृष्ण!
जैसे राम!
जैसे परशुराम!
जैसे शिवाजी!
जैसे प्रताप!
जैसे कबीर!
जैसे बुद्ध!
जैसे महावीर!
जैसे विवेकानंद!
जैसे भीमा नायक!
जैसे भगत सिंह!
आदि आदि
ये सभी विभिन्न जातियों में मनुष्य द्वारा बनाई गई सोच में जन्में हैं मगर आज किसी एक की प्रेरणा नहीं , सबके आदर्श है।
यहीं धर्म है।
जय श्री कृष्णा
जय हिंद
पूजा बाथरा
मोटिवेश्नल लेखिका राष्ट्रीय पत्रकार नई दिल्ली
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