गधे ओर घोड़े में फर्क करने वाले,उसकी उपमा तय करने वाले आप हैं।

गधे ओर घोड़े में फर्क करने वाले,उसकी उपमा तय करने वाले आप हैं।
भगवान् ने तो उसे मेहनती ओर महान बनाया है।
अंतर ओर सीख तो मनुष्य की देन हैं।
जिस प्रकार आप मजाक में बात बात पर एक महान परिचय को भूल जाते हैं ।
वैसे ही जीवन भर आस पास की चीजों से ज्ञान रहित रह जाते हैं।
गधे की उपाधि ,उपहास में मिला फल है
लेकिन
जीवन भर कठोर परिश्रम करने का प्रतिफल है यह आप कभी नहीं समझ पाए।
आप उसके शरीर,रचना,स्वभाव से कुंठित होकर उसे गधा कहते हैं।
मगर मैं कहती हूं यदि गधे मेहनती है , अटल राह चलते हैं, परिश्रम करते हैं तो यह उपाधि हम सब को स्वीकार होनी चाहिए।
क्योंकि महानता अस्तित्व में है, गुण में है, कर्म में हैं।
रंग रूप प्रजाति में नहीं।
जय श्री कृष्णा
जय हिंद
पूजा बाथरा
मोटिवेश्नल लेखिका राष्ट्रीय पत्रकार नई दिल्ली
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