देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महंगाई के कारण हो रही 'कठिनाई' के बारे में बताने का साहस करना या समस्या से अवगत कराना हर भारतीय का फर्ज है

देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महंगाई के कारण हो रही 'कठिनाई' के बारे में बताने का साहस करना या समस्या से अवगत कराना हर भारतीय का फर्ज है

देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महंगाई के कारण हो रही 'कठिनाई' के बारे में बताने का साहस करना या समस्या से अवगत कराना हर भारतीय का फर्ज है

देश के प्रधानमंत्री को पत्र लिखकर महंगाई के कारण हो रही 'कठिनाई' के बारे में बताने का साहस करना या समस्या से अवगत कराना हर भारतीय का फर्ज है।
ऐसा ही एक नज़ारा जब हमें एक मासूम बचपन से देखने को मिले तो वह प्रेरणा स्पद हो जाता हैं।

ऐसी ही प्रेरणा एक पहली कक्षा में पढ़ने वाली छह साल की एक बच्ची बनी हैं। जिसने वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को अपनी समस्या नहीं बल्कि महंगाई से जूझ रहे लाखों परिवारों, मासूम बच्चों की गुहार सुनाई।

जी हां वैसे तो उम्र का कोई तकाजा नहीं होता, सीखने, समझने और अपनाने के लिए गुणों की आवश्यकता हैं।

उत्तर प्रदेश के कन्नौज जिले की कृति दुबे नाम की बच्ची ने अपने पत्र में लिखा, "मैं कक्षा 1 में पढ़ती हूं. मोदीजी, आपने बहुत अधिक मूल्यवृद्धि की है। यहां तक कि मेरी पेंसिल और रबर भी महंगा हो गया और मैगी की कीमत भी बढ़ा दी गई है। अब मेरी मां पेंसिल मांगने पर मुझे मारती है। मैं क्या करूं?"

यह निसंदेह विचारणीय है क्योंकि देश के मुखिया से एक अबोध बालक ने प्रश्न किया है जो साहस बड़े बड़ों में नहीं दिखता वो इस बच्ची ने मात्र छोटी सी उम्र में कर दिखाया।


पूजा बाथरा
मोटिवेश्नल लेखिका, 
राष्ट्रीय पत्रकार,नई दिल्ली

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