कांग्रेस , आरएसएस और तिरंगा..
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1929 में कांग्रेस ने देश की आज़ादी के लिए लोगों से आह्वान किया कि 26 जनवरी 1930 को तिरंगा झंडा फहराएँ, स्वतंत्रता दिवस मनाएँ।
इसके जवाब में RSS के प्रमुख डा. हेडगेवार ने आदेश जारी करके शाखाओं को तिरंगे की जगह भगवा झंडा लहराने के आदेश दिए।
यह संदेश सोशल मीडिया पर हर जगह प्रसारित हो रहा हैं बिना इसकी सच्चाई के कि यह कितना सही है।
राष्ट्रीयस्वयं सेवक संघ के संस्थापक डॉ. केशव राव बलिराम हेडगेवार को कौन नहीं जानता ।
उनका जन्म गरीब ब्राहाण परिवार में 8 अप्रैल 1889 हुआ। वह बचपन से ही क्रांतिकारी स्वभाव के थे।
उन्हें अंग्रेज शासकों से नफरत थी। एक बार उनके स्कूल में अंग्रेज इंस्पेक्टर चेकिंग के लिए आया। तभी हेडगेवार ने अपने दोस्तों के साथ वंदे मातरम् के जयघोष से उनका स्वागत किया।
उन्होंने जब स्कूल में पढ़ाई के बाद डॉक्टरी करने के लिए कलकत्ता में कदम रखा तो वह नामी क्रांतिकारी संस्था समिति से जुड़ गए।
वह नागपुर लौटने पर 1915 में कांग्रेस में सक्रिय हुए। जब कांग्रेस का 1920 में देश स्तरीय अधिवेशन हुआ तो उन्होंने कांग्रेस में पहली बार #पूर्णस्वतंत्रता को लक्ष्य बनाने के बारे में प्रस्ताव रखा था।
जो #पारित #नहीं किया गया।
उन्होंने 1921 में कांग्रेस के असहयोग आंदोलन में गिरफ्तारी भी दी।
वह 1 साल जेल में रहे।
उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के नाम से संस्कारशाला की शाखा पद्धति शुरु की।
आज आप देख सकते हैं कि संघ वटवृक्ष का रूप ले चुका है।
इसके बावजूद उनका रुख कांग्रेस के प्रति सकारात्मक था। उन्होंने 1930 में महात्मागांधी के नमक विरोधी आंदोलन में दर्जन साथियों के साथ हिस्सा लिया। जिसमें उन्हें 9 महीने की जेल हुई।
उन्होंने 26 जनवरी 1930 को देश भर में तिरंगा फहराने का आह्वान किया। सभी संघ शाखाओं में तिरंगा भी फहराया गया। डा. हेडगेवार युगपुरुष हैं।
उनके विचार हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे। आज उनके विचारों का महत्व और ज्यादा बढ़ गया है।
तत्कालीन वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण लाल ढल्ल ने यह बात अपने वक्तव्य में लिखी थी।
वे प्रदीप तथा जनप्रदीप नामक अखबार के साथ जुड़कर लंबे समय तक जालंधर की तमाम अव्यवस्थाओं को उजागर करते रहे।
अब बात अगले आरोपों की जो विपक्ष भी उठा रहा हैं साथ ही जनता को भी इसका जवाब मिलना चाहिए।
यह 2001 की घटना ,नागपुर केस नंबर 176 हैं।
जहां 26 जनवरी,2001 को तीन युवक नागपुर में संघ मुख्यालय पर पहली बार तिरंगा फहराने पहुँचे थे..
संघ के लोगों ने ऐसा नहीं करने दिया और तिरंगा फहराने के आरोप में तीनों पर पुलिस केस दर्ज कराया ।
इसके साक्ष्य भी मौजूद हैं।
वहीं विपक्ष को आइना दिखाती यह जानकारी भी ज़रूरी हैं।
15 अगस्त 2017 को केरल सरकार से इजाजत न मिलने के बावजूद भी RSS प्रमुख मोहन भागवत ने फहराया तिरंगा था।
तब भागवत ने कहा भी कि राष्ट्र की सेवा के लिए आरएसएस को किसी की इजाजत लेने की जरूरत नहीं है।
आगे 26 जनवरी 2021 को गुजरात में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने गणतंत्र दिवस के मौके पर अहमदाबाद में भी तिरंगा फहराया था।
साथ ही नागपुर सरसंघ चालक सहित भागवत ने गौरखपुर सहित कई शाखाओं में भी तिरंगे फहराएं हैं।
इसके साक्ष्य आप नीचे दिए चित्र के माध्यम से देख सकते हैं।
हालांकि तिरंगे का राजनीतिक दलों को दूषित उपयोग नहीं करना चाहिए।
लेकिन लगातार बेतुके सवाल एक के बाद एक संघ या पीएम के लिए हमला करार दिए जा रहे हैं।
जनता को बिना समझे राजनीतिक लाभ के लिए अनसुनी, अनदेखी बातों को वायरल नहीं करना चाहिए।
यह देश की प्रगति में बाधा जैसा है।
जय श्री कृष्णा
जय हिंद
पूजा बाथरा
मोटिवेश्नल लेखिका राष्ट्रीय पत्रकार नई दिल्ली
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