बलात्कार को बढ़ावा ... आखिर कौन ???

बलात्कार को बढ़ावा ... आखिर कौन ???

देश भर में महिला सुरक्षा को लेकर सरकारें लाख दावे करते हैं बावजूद इसके महिला सुरक्षा का स्तर दिन-ब-दिन संकटकाल की ओर बढ़ता नजर आ रहा है बेटियां घर से लगाकर दफ्तर स्कूल से लगाकर चौपाटी मंदिर से लगाकर मस्जिद परिजनों से लगाकर दोस्तों तब कहीं भी सुरक्षित नहीं है।

ऐसा कोई व्यक्ति मौजूद नहीं है जिससे महिला असुरक्षा के विषय में जानकारी ना हो।
भौतिकवादी युग में जिस प्रकार से अत्याधुनिक चीजों का आविष्कार हुआ है उनसे मनुष्य न केवल आलसी बल्कि अमानवीय भी हो चुका है।

बदलते दौर में रिश्ते ऊंच-नीच सभ्यता संस्कार सब कुछ दांव पर लगाकर हंसने एवं मनोरंजन के नाम पर विदेशी कल्चर में तब्दील होते जा रहे हैं।

देश के अनेक विभाग अनेक दल अनेक क्षेत्रों में आप ही के बीच कई बलात्कारी उठते बैठते हैं गांव से लगाकर देश की राजधानी तक, आम इंसान से प्रसिद्ध व्यक्ति तक ऐसा कोई नहीं बचा है जो स्त्री का शोषण नहीं कर रहा।
यह भी कहना गलत नहीं होगा कि आप सब कुछ जानते हुए भी अपराधियों का मनोबल बढ़ाते हैं उनके एक कृत्य पर उन्हें सबक सिखाने के बजाय आप उसे प्रोत्साहित करते हैं कि वह लगातार इन कृतियों के माध्यम से संपूर्ण माहौल ही खराब करें।

सोशल मीडिया पर जो लोग किसी बेटी के साथ हुए कृत्य पर कैंडल मार्च और धरना प्रदर्शन करते हुए छाती पीटते हुए नजर आते हैं अक्सर उन्हीं लोगों में से 90% लोग इन सभी कृत्य में शामिल होते हैं।
फिर बताइए आप आने वाले सितंबर माह में नव दुर्गा के नौ दिनों की पूजा आखिर किसलिए करेंग?

एक बेटी के साथ उसके पिता हर जगह मौजूद नहीं हो सकते या उसका परिवार हर जगह उसके साथ खड़ा नहीं रह सकता ऐसे में हम सभी का दायित्व है कि यदि किसी भी बेटी किसी भी महिला को किसी प्रकार की दिक्कत है या वह किसी समस्या से जूझ रही है तो हम सभी पहली ही बार समझ जाने पर उनकी मदद करें।
आज आप यहां किसी की बेटी की रक्षा करेंगे तो कोई और आपकी बेटी की रक्षा कर रहा होगा इसी प्रकार एक से दो दो से चार अलग-अलग स्थानों पर हमारी बेटियां महिलाएं सुरक्षित होंगी।

सरकार को कड़े नियम एवं उचित कार्यवाही के कठोर दायित्व को निभाना चाहिए लेकिन सामाजिक तौर पर यह बात की जाए तो यह हम सभी की जिम्मेदारी है कि इस विषय पर हम भी अपनी भूमिका निभाए।

ऐसे मामलों में यह कहना भी गलत नहीं होगा कि शत प्रतिशत महिलाएं प्रताड़ित होती हैं कुछ मामले जबरन किसी को उलझाने या परेशान करने के लिए भी अपनाए जाते हैं ऐसी परिस्थिति में कानून एवं प्रशासन द्वारा उचित कार्यवाही होने पर ही दोषी एवं अपराधी पर दंड संहिता का पालन होना चाहिए।

नीचे दी गई खबर में मध्यप्रदेश के जबलपुर के एक परिवार ने चचेरे रिश्तो को ही खत्म कर डाला ऐसा नहीं है कि यह कोई पहला मामला है इससे पहले भी ऐसी कई सामाजिक खंडन की खबरें सामने आती रही है जिसमें रिश्तो को कलंकित किया गया है।
ऐसे में इन खबरों से हमें सबक लेना चाहिए और सबसे पहली प्राथमिकता है परिवार में अनुशासन एवं संस्कार खत्म होने से रोकना चाहिए।
व्यक्ति बाल्यावस्था से सबसे पहली पाठशाला के रूप में परिवार से ही सब कुछ सिखता है मेरी परिवारों में, संस्कारित माहौल और अनुशासन ही ठीक नहीं होगा तो किसी भी स्कूल यूनिवर्सिटी या समाज के साथ-साथ देश का माहौल अपराध के मार्ग पर ही बढ़ेगा।

बच्चों को अच्छे संस्कार देना हम सभी का परम दायित्व है साथी अपने कार्य को सिद्ध करने के लिए यदि किसी स्त्री को दांव पर लगाना पड़े तो ऐसे लोगों को राक्षस जाति का भी नहीं कहा जा सकता।
मनोरंजन अश्लीलता फूहड़ता फ़ैलाने के नाम पर जीवन जीना पसंद करते हैं तो यह समझ लीजिए कि जानवरों और आपने कोई अंतर नहीं।
जिन्हें लगता है कि जीवन एक ही बार मिला है और यह सारी चीजें होनी चाहिए तभी भोग विलासिता के जीवन के अतिरिक्त मनुष्य जीवन नहीं बल्कि पशु पूर्वक जीवन जी रहे हैं।
महिला सुरक्षा को लेकर ऐसे कई तथ्य हैं जिनमें महिलाओं की भी स्वयं की जिम्मेदारी है कि वह अपने अनुशासन का पालन करते हुए जीवन निर्वहन करें किसी भी चीज की आजादी का अर्थ यह नहीं है कि वह अपनी मर्यादित सीमाओं को लांग कर भौतिक युग में विदेशी कल्चर को अपनाने लगे।
यही दुर्भाग्य है कि भारत की दुर्गा आज दुर्गति की ओर जा रही है अन्यथा पुरुष प्रधान समाज की सच्चाई यही रही है कि जब दुर्गा रणचंडी बनती है तो पुरुष भी उसके चरणों में नतमस्तक होता है।
यह बात जब तक महिलाओं को समझ नहीं आती जब तक समाज नहीं सुधरता ऐसी घटनाएं भारत के गौरव को कलंकित करते रहेगी।


इसलिए उठिए चलिए महिलाओं की सुरक्षा के लिए आगे आइए भारत के भविष्य को सर्वनाश होने से बचाइए।

जय श्री कृष्णा
जय हिंद

पूजा बाथरा
मोटिवेश्नल लेखिका राष्ट्रीय पत्रकार नई दिल्ली

What's Your Reaction?

like

dislike

love

funny

angry

sad

wow